The Ultimate Guide To Shodashi
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कस्तूरीपङ्कभास्वद्गलचलदमलस्थूलमुक्तावलीका
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥
Every struggle that Tripura Sundari fought is actually a testomony to her may possibly plus the protecting mother nature with the divine feminine. Her legends go on to encourage devotion and are integral into the cultural and spiritual tapestry of Hinduism.
From the context of energy, Tripura Sundari's attractiveness is intertwined with her strength. She's not only the image of aesthetic perfection and also of sovereignty and overcome evil.
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय click here नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
If the Shodashi Mantra is chanted with a clear conscience plus a decided intention, it can make any wish occur true for you.
हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे
Sati was reborn as Parvati to your mountain king Himavat and his spouse. There was a rival of gods named Tarakasura who may very well be slain only through the son Shiva and Parvati.
श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।
कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥
सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाश्यत्वादिशक्तिः ॥३॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥